১৬৪২

পরিচ্ছেদঃ

১৬৪২। উরওয়ার -অর্থাৎ ইবনু মাসউদ সাকাফীর- উদাহরণ হচ্ছে এই যে, সে ইয়াসীনের সাথীর ন্যায়। সে তার সম্প্রদায়কে দাওয়াত দেয় ফলে তারা তাকে হত্যা করে।

হাদীসটি দুর্বল।

হাদীসটিকে হাকিম (৩/৬১৫-৬১৬) আর তার সূত্রে বাইহাকী "দালাইলুন নুবুওয়াহ" গ্রন্থে (৫/২৯৯) মুহাম্মাদ ইবনু আমর ইবনে খালেদ হতে, তিনি তার পিতা হতে, তিনি ইবনু লাহীয়্যাহ হতে, তিনি আবুল আসওয়াদ হতে, তিনি উরওয়া ইবনুয যুবায়ের হতে বর্ণনা করেন। তিনি বলেনঃ নবম সালে (হিজরীতে) যখন লোকেরা হাজ্জ করার জন্য আগমন করল তখন মুগীরাহ ইবনু শু’বার চাচা উরওয়া ইবনু মাসউদ সাকাফী (রাঃ) রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম-এর নিকট এসে রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম-এর নিকট তার সম্প্রদায়ের নিকট ফিরে যাওয়ার অনুমতি প্রার্থনা করলে রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম তাকে বললেনঃ আমি আশঙ্কা করছি যে, তারা তোমাকে হত্যা করবে।

তখন সে বললঃ তারা যদি আমাকে ঘুমন্ত অবস্থায় পায় তাহলে তারা আমাকে জাগ্রত করবে না। তখন রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম তাকে যাওয়ার অনুমতি প্রদান করলেন। তিনি মুসলিম হিসেবে তার গোত্রের উদ্দেশ্যে বেরিয়ে গেলেন। তিনি এশার সময়ে তাদের নিকট পৌছলে সাকীফ গোত্র তার নিকট আসল। তখন তিনি তাদেরকে ইসলামের দাওয়াত দিলেন। এ কারণে তারা তাকে অপবাদ প্রদান করল এবং তার নাফারমানী করল এবং তাকে এমন কিছু শুনালো যা সে ধারণা করেনি। অতঃপর তারা তার নিকট হতে বেরিয়ে গেল। তারা যখন সাহরীর সময়ে আগমন করল এবং সকাল হয়ে গেলো তখন উরওয়া তার ঘরে উঠে সালাতের জন্য আযান দিয়ে তাশাহহুদ পাঠ করলেন। অতঃপর সাকীফ গোত্রের এক ব্যক্তি তীর নিক্ষেপ করে তাকে হত্যা করে। এ সময় রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বললেনঃ ....।

আমি (আলবানী) বলছিঃ এ সনদটি মুরসাল দুর্বল। ইবনু লাহীয়াহ দুর্বল তার গ্রন্থভাণ্ডার পুড়ে যাওয়ার পরে তার মস্তিষ্ক বিকৃতির কারণে। আর মুহাম্মাদ ইবনু আমর ইবনে খালেদের জীবনী আমি পাইনি। যেমনটি “তাফসীর ইবনু কাসীর” গ্রন্থে (৩/৫৬৮) এসেছে মুহাম্মাদ ইবনু জাবের সূত্রে আব্দুল মালেক ইবনু উমায়ের হতে তিনি বলেনঃ উরওয়া ইবনু মাসউদ সাকাফী (রাঃ) নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম-কে বলেনঃ আপনি আমাকে আমার গোত্রের নিকট প্রেরণ করুন, আমি তাদেরকে ইসলামের দাওয়াত দিব। তখন রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেনঃ “আমি আশঙ্কা করছি যে, তারা তোমাকে হত্যা করবে।” আলহাদীস।

আমি (আলবানী) বলছিঃ এটিও পূর্বেরটির ন্যায় দুর্বল, মুরসাল হওয়ার কারণে। কারণ মুহাম্মাদ ইবনু জাবের হচ্ছেন ইবনু সাইয়্যার হানাফী ইয়ামামী। তিনিও দুর্বল। হাফিয ইবনু হাজার “আত-তাকরীব” গ্রন্থে বলেনঃ তিনি (ইয়ামামী) সত্যবাদী, তার কিতাবগুলো হারিয়ে যাওয়ার কারণে তার হেফয ক্রটিযুক্ত হয়ে যায় এবং অনেক কিছুই গোলমেলে হয়ে যায় এবং তিনি অন্ধ হয়ে যান। ফলে তাকে তালকীন (ভুল ধরিয়ে) দিতে হতো। তবে আবু হাতিম তাকে ইবনু লাহীয়ার চেয়ে বেশী অগ্রাধিকার দিয়েছেন।

হাদীসটিকে বাইহাকী মুরসাল অথবা মু’যাল হিসেবে মূসা ইবনু উকবাহ হতে বর্ণনা করেছেন।

এটিকে ইবনু ইসহাক "আস-সীরাহ" গ্রন্থে সনদ ছাড়া উল্লেখ করেছেন যেমনটি “সীরাতু ইবনু হিশাম” গ্রন্থে (৪/১৯৪) এসেছে।

হাদীসটি সেই সব দুর্বল হাদীসগুলোর একটি যেগুলোকে রেফাঈ তার "মুখতাসার" গ্রন্থে উল্লেখ করেছেন, ভূমিকায় উল্লেখিত তার সিদ্ধান্তের (নীতির) বিরোধিতা করে।

مثل عروة - يعني: ابن مسعود الثقفي - مثل صاحب ياسين دعا قومه إلى الله فقتلوه
ضعيف

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أخرجه الحاكم (3 / 615 - 616) ومن طريقه البيهقي في " دلائل النبوة " (5 / 299) عن محمد بن عمرو بن خالد: حدثنا أبي حدثنا ابن لهيعة عن أبي الأسود عن عروة ابن الزبير قال: لما أتى الناس الحج سنة تسع، قدم
عروة بن مسعود الثقفي عم المغيرة بن شعبة على رسول الله صلى الله عليه وسلم، فاستأذن رسول الله صلى الله عليه وسلم أن يرجع إلى قومه، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: " إني أخاف أن يقتلوك ". قال: لو وجدوني نائما ما أيقظوني، فأذن له رسول الله صلى الله عليه وسلم، فخرج إلى قومه مسلما، فقدم عشاء، فجاءته ثقيف، فدعاهم إلى الإسلام، فاتهموه وعصوه، وأسمعوه ما لم يكن يحتسب، ثم خرجوا من عنده، حتى إذا أسحروا وطلع الفجر، قام عروة في داره فأذن بالصلاة وتشهد، فرماه رجل من ثقيف بسهم فقتله، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: فذكره. قلت: وهذا إسناد مرسل ضعيف، ابن لهيعة ضعيف لاختلاطه بعد احتراق كتبه. ومحمد بن عمرو بن خالد، لم أجد له ترجمة. وروي مرسلا من طريق أخرى عند ابن أبي حاتم - كما في " تفسير ابن كثير " (3 / 568) - من طريق ابن جابر - هو محمد - عن عبد الملك - يعني: ابن عمير - قال: قال عروة بن مسعود الثقفي رضي الله عنه للنبي صلى الله عليه وسلم: ابعثني إلى قومي أدعوهم إلى الإسلام، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: " إني أخاف أن يقتلوك الحديث نحوه. قلت: وهذا كالذي قبله، ضعيف مع إرساله، فإن محمد بن جابر - وهو ابن سيار الحنفي اليمامي - ضعيف أيضا، قال الحافظ في " التقريب ": " صدوق، ذهبت كتبه، فساء حفظه وخلط كثيرا، وعمي فصار يلقن، ورجحه أبو حاتم على ابن لهيعة ". ورواه البيهقي عن موسى بن عقبة مرسلا أومعضلا
وذكره ابن إسحاق في " السيرة " بغير إسناد كما في " سيرة ابن هشام " (4 / 194) . والحديث من الأحاديث الضعيفة التي أوردها الرفاعي في " مختصره " خلافا لالتزامه الذي نص عليه في مقدمته، بل صرح بتصحيحه في فهرسه الذي وضعه في آخر المجلد الثالث (ص 440)

مثل عروة - يعني: ابن مسعود الثقفي - مثل صاحب ياسين دعا قومه الى الله فقتلوه ضعيف - اخرجه الحاكم (3 / 615 - 616) ومن طريقه البيهقي في " دلاىل النبوة " (5 / 299) عن محمد بن عمرو بن خالد: حدثنا ابي حدثنا ابن لهيعة عن ابي الاسود عن عروة ابن الزبير قال: لما اتى الناس الحج سنة تسع، قدم عروة بن مسعود الثقفي عم المغيرة بن شعبة على رسول الله صلى الله عليه وسلم، فاستاذن رسول الله صلى الله عليه وسلم ان يرجع الى قومه، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: " اني اخاف ان يقتلوك ". قال: لو وجدوني ناىما ما ايقظوني، فاذن له رسول الله صلى الله عليه وسلم، فخرج الى قومه مسلما، فقدم عشاء، فجاءته ثقيف، فدعاهم الى الاسلام، فاتهموه وعصوه، واسمعوه ما لم يكن يحتسب، ثم خرجوا من عنده، حتى اذا اسحروا وطلع الفجر، قام عروة في داره فاذن بالصلاة وتشهد، فرماه رجل من ثقيف بسهم فقتله، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: فذكره. قلت: وهذا اسناد مرسل ضعيف، ابن لهيعة ضعيف لاختلاطه بعد احتراق كتبه. ومحمد بن عمرو بن خالد، لم اجد له ترجمة. وروي مرسلا من طريق اخرى عند ابن ابي حاتم - كما في " تفسير ابن كثير " (3 / 568) - من طريق ابن جابر - هو محمد - عن عبد الملك - يعني: ابن عمير - قال: قال عروة بن مسعود الثقفي رضي الله عنه للنبي صلى الله عليه وسلم: ابعثني الى قومي ادعوهم الى الاسلام، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: " اني اخاف ان يقتلوك الحديث نحوه. قلت: وهذا كالذي قبله، ضعيف مع ارساله، فان محمد بن جابر - وهو ابن سيار الحنفي اليمامي - ضعيف ايضا، قال الحافظ في " التقريب ": " صدوق، ذهبت كتبه، فساء حفظه وخلط كثيرا، وعمي فصار يلقن، ورجحه ابو حاتم على ابن لهيعة ". ورواه البيهقي عن موسى بن عقبة مرسلا اومعضلا وذكره ابن اسحاق في " السيرة " بغير اسناد كما في " سيرة ابن هشام " (4 / 194) . والحديث من الاحاديث الضعيفة التي اوردها الرفاعي في " مختصره " خلافا لالتزامه الذي نص عليه في مقدمته، بل صرح بتصحيحه في فهرسه الذي وضعه في اخر المجلد الثالث (ص 440)
হাদিসের মানঃ যঈফ (Dai'f)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
যঈফ ও জাল হাদিস
১/ বিবিধ