৯২৬

পরিচ্ছেদঃ

৯২৬। হে লোকেরা অবশ্যই প্রভু এক ও পিতা একজন। তোমাদের কারো সাথে আরবী ভাষা পিতা-মাতা হতে প্রাপ্ত নয়। আরবী একটি ভাষা। অতএব যে ব্যক্তিই আরবীতে কথা বলবে সেই আরবী ভাষী।

হাদীছটি নিতান্তই দুর্বল।

এটি ইবনু আসাকির (৭/২০৩/২) আলা ইবনু সালেম হতে তিনি কুররাহ ইবনু ঈসা হতে তিনি আবু বাকর আয-যুহলী হতে তিনি মালেক ইবনু আনাস (রাঃ) হতে তিনি যুহরী হতে ... বর্ণনা করেছেন।

আমি (আলবানী) বলছিঃ এ সনদটি নিতান্তই দুর্বল। আবু বাকর আয-যুহালী (সঠিক হচ্ছে হুযালী) মাতরূক। যেমনটি দারাকুতনী, নাসাঈ ও অন্য বিদ্বানগণ বলেছেন। গুনদার তাকে মিথ্যুক আখ্যা দিয়েছেন।

হাদীছটি “তারীখু ইবনে আসাকির” (৮/১৯০-১৯১) গ্রন্থের অন্য স্থানে একই সূত্রে আমি দেখেছি। তাতেও হুযালী রয়েছেন। তিনি (ইবনু আসাকির) বলেনঃ এ হাদীছটি মুরসাল। মুরসাল হওয়া সত্ত্বেও এটি গারীব। কারণ আবু বাকর সুলামী ইবনু আবদিল্লাহ হুযালী এককভাবে বর্ণনা করেছেন। আর তার থেকে একমাত্র কুররাহ বর্ণনা করেছেন।

আমি (আলবানী) বলছিঃ কে তার (কুররার) জীবনী আলোচনা করেছেন পাচ্ছি না। এটি হাদীছটির আরেক সমস্যা। তার থেকে বর্ণনাকারী আলাও তার ন্যায়।

يا أيها الناس إن الرب واحد، والأب واحد، وليست العربية بأحدكم من أب ولا أم، وإنما هي اللسان، فمن تكلم بالعربية فهو عربي
ضعيف جدا

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رواه ابن عساكر (3 / 203 / 2) عن العلاء بن سالم: أخبرنا قرة بن عيسى الواسطي: أخبرنا أبو بكر الذهلي عن مالك بن أنس الزهري عن أبي سلمة بن عبد الرحمن قال: جاء قيس بن مطاطية إلى حلقة فيها سلمان الفارسي وصهيب الرومي وبلال الحبشي، فقال: هذا الأوس والخزرج قد قاموا بنصرة هذا الرجل فما بال هذا؟ فقام إليه معاذ بن جبل فأخذ بتلبيبه، ثم أتى به النبي صلى الله عليه وسلم فأخبره بمقالته، فقام النبي صلى الله عليه وسلم قائما يجر ردائه حتى دخل المسجد ثم نودي: أن الصلاة جامعة، وقال: (ذكره) ، فقام معاذ بن جبل وهو آخذ بتلبيبه، قال: فما تأمرنا بهذا المنافق يا رسول الله؟ قال: دعه إلى النار، فكان قيس ممن ارتد في الردة، فقتل. قلت وهذا سند ضعيف جدا أبو بكر الذهلي (كذا الأصل، والصواب الهذلي) وهو متروك كما قال الدارقطني والنسائي وغيرهما وكذبه غندر. ثم رأيت الحديث في موضع آخر من " تاريخ ابن عساكر " (8 / 190 - 191) من هذا الوجه " وفيه " الهذلي على الصواب
وقال: " هذا حديث مرسل، وهو مع إرساله غريب، تفرد به أبو بكر سلمى بن عبد الله الهذلي البصري، ولم يرو هـ عنه إلا قرة
قلت: ولم أجد من ترجمه، فهذه علة أخرى. ومثله الراوي عنه: العلاء. وعلى الصواب ذكره ابن تيمية في " الاقتضاء " (169 - طبع الأنصار) من رواية السلفي، ثم قال ابن تيمية: هذا الحديث ضعيف، وكأنه مركب على مالك، لكن معناه ليس ببعيد، بل هو صحيح من بعض الوجوه

يا ايها الناس ان الرب واحد، والاب واحد، وليست العربية باحدكم من اب ولا ام، وانما هي اللسان، فمن تكلم بالعربية فهو عربي ضعيف جدا - رواه ابن عساكر (3 / 203 / 2) عن العلاء بن سالم: اخبرنا قرة بن عيسى الواسطي: اخبرنا ابو بكر الذهلي عن مالك بن انس الزهري عن ابي سلمة بن عبد الرحمن قال: جاء قيس بن مطاطية الى حلقة فيها سلمان الفارسي وصهيب الرومي وبلال الحبشي، فقال: هذا الاوس والخزرج قد قاموا بنصرة هذا الرجل فما بال هذا؟ فقام اليه معاذ بن جبل فاخذ بتلبيبه، ثم اتى به النبي صلى الله عليه وسلم فاخبره بمقالته، فقام النبي صلى الله عليه وسلم قاىما يجر رداىه حتى دخل المسجد ثم نودي: ان الصلاة جامعة، وقال: (ذكره) ، فقام معاذ بن جبل وهو اخذ بتلبيبه، قال: فما تامرنا بهذا المنافق يا رسول الله؟ قال: دعه الى النار، فكان قيس ممن ارتد في الردة، فقتل. قلت وهذا سند ضعيف جدا ابو بكر الذهلي (كذا الاصل، والصواب الهذلي) وهو متروك كما قال الدارقطني والنساىي وغيرهما وكذبه غندر. ثم رايت الحديث في موضع اخر من " تاريخ ابن عساكر " (8 / 190 - 191) من هذا الوجه " وفيه " الهذلي على الصواب وقال: " هذا حديث مرسل، وهو مع ارساله غريب، تفرد به ابو بكر سلمى بن عبد الله الهذلي البصري، ولم يرو هـ عنه الا قرة قلت: ولم اجد من ترجمه، فهذه علة اخرى. ومثله الراوي عنه: العلاء. وعلى الصواب ذكره ابن تيمية في " الاقتضاء " (169 - طبع الانصار) من رواية السلفي، ثم قال ابن تيمية: هذا الحديث ضعيف، وكانه مركب على مالك، لكن معناه ليس ببعيد، بل هو صحيح من بعض الوجوه
হাদিসের মানঃ যঈফ (Dai'f)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
যঈফ ও জাল হাদিস
১/ বিবিধ