পরিচ্ছেদঃ
৬০৬। জাহান্নামের জন্য এমন একটি দিন আসবে যেদিন তার দরজাগুলো বন্ধ করে দেয়া হবে। তখন উম্মাতে মুহাম্মাদিয়ার কোন ব্যক্তিই তাতে (জাহান্নামে) থাকবে না।
হাদীছটি জাল।
হাদীছটি ইবনু আদী আলা ইবনু যাইদাল সূত্রে আনাস (রাঃ) হতে মারফূ’ হিসাবে বর্ণনা করেছেন।
আমি (আলবানী) বলছিঃ এই আলা সম্পর্কে ইমাম যাহাবী বলেনঃ তিনি ধ্বংসপ্রাপ্ত। ইবনুল মাদীনী বলেনঃ তিনি হাদীছ জাল করতেন। ইবনু হিব্বান (২/১৬৯) বলেনঃ তিনি আনাস ইবনু মালেক (রাঃ) হতে একটি কপি বর্ণনা করেছেন যার সবগুলোই বানোয়াট। আশ্চর্য হবার উদ্দেশ্য ছাড়া কোন গ্রন্থে তার হাদীছ উল্লেখ করাই হালাল নয়।
হাদীছটি এখানে উল্লেখ করার কারণ এই যে দু’জন সম্মানিত আলেম এটিকে উল্লেখ করে কোন হুকুম না লাগিয়ে চুপ থেকেছেন। একজন হচ্ছেন হাফিয ইবনু হাজার "তাখরাজু আহাদীছিল কাশশাফ" (৪/৮৭ নং ৯৪) গ্রন্থে আর দ্বিতীয়জন হচ্ছেন মানবী।
হাদীছটির অর্থ সঠিক হিসাবে ধরা যেতে পারে যদি উম্মাত দ্বারা উম্মাতুল ইজাবাহ ধরা হয় (অর্থাৎ যারা তার দাওয়াত কবুল করেছে)। আর যদি উম্মাতে দাওয়াহ (যাদেরকে শুধুমাত্র দাওয়াত দেয়া হয়েছে) ধরা হয় তাহলে এটি জালই থাকবে।
ليأتين على جهنم يوم تصفق أبوابها، ما فيها من أمة محمد أحد
موضوع
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رواه ابن عدي عن العلاء بن زيدل عن أنس مرفوعا. قلت: والعلاء هذا قال الذهبي: " تالف، قال ابن المدني: كان يضع الحديث ". وقال ابن حبان (2 / 169) : " يروي عن أنس بن مالك بنسخة كلها موضوعة، لا يحل ذكره في الكتب إلا على سبيل التعجب ". وإنما أوردت الحديث لأن عالمين فاضلين أورداه ساكتين عليه، أحدهما الحافظ ابن حجر في " تخريج أحاديث الكشاف " (4 /87، رقم 194) والآخر المناوي ذكره عند شرحه للحديث الذي قبله محتجا به
ومعنى الحديث صحيح إن كان المراد بـ " أمة محمد " فيه أمة الإجابة لا أمة الدعوة كما هو ظاهر. ويؤيده ما ذكره ابن القيم في " حادي الأرواح " (2 / 176 - 177) من رواية إسحاق بن راهويه: حدثنا عبيد الله (بن معاذ) : حدثنا أبي: حدثنا شعبة عن يحيى بن أيوب عن أبي زرعة عن أبي هريرة قال: " ما أنا بالذي لا أقول: إنه سيأتي على جهنم يوم لا يبقى فيها أحد، وقرأ قوله: (فأما الذين شقوا ففي النار لهم فيها زفير وشهيق) الآية
قال عبيد الله: كان أصحابنا يقولون: يعني به الموحدين ". وقد روي الحديث عن أبي أمامة ولا يصح أيضا وهو (الاتي)