১৬১১

পরিচ্ছেদঃ

১৬১১। তোমাদের কেউ যখন মহিলাকে বিয়ের প্রস্তাব দিবে তখন সে যেন তার চুল সম্পর্কে জিজ্ঞেস করে যেরূপ সে তার সৌন্দর্য সম্পর্কে জিজ্ঞেস করবে। কারণ চুল দু’সৌন্দর্যের একটি।

হাদীসটি বানোয়াট।

হাদীসটিকে দাইলামী “মুসনাদুল ফিরদাউস” গ্রন্থে (১/১/১১০) ইসহাক ইবনু বিশর কাহেলী সূত্রে আব্দুল্লাহ ইবনু ইদরীস মাদীনী হতে, তিনি জা’ফার ইবনু মুহাম্মাদ হতে, তিনি তার পিতা হতে, তিনি তার দাদা হতে, তিনি ’আলী (রাঃ) হতে মারফু’ হিসেবে বর্ণনা করেছেন।

আমি (আলবানী) বলছিঃ এ সনদটি বানোয়াট। এর সমস্যা হচ্ছে এ ইসহাক। দারাকুতনী বলেনঃ তিনি হাদীস জালকারী।

আর আব্দুল্লাহ ইবনু ইদরীসকে আমি চিনি না।

দারাকুতনীর নিকট আবু হুরাইরাহ (রাঃ)-এর হাদীস হতে মারফু হিসেবে এর আরেকটি সূত্র রয়েছে। যার সনদের মধ্যে হাসান ইবনু ’আলী আদাবী নামের এক বর্ণনাকারী রয়েছেন যিনি মিথ্যুক, জালকারী। আর এর সূত্রেই ইবনুল জাওযী হাদীসটিকে “আলমওযুয়াত” গ্রন্থে উল্লেখ করে সঠিক করেছেন। আর সুয়ূতী “আললাআলী” গ্রন্থে (নং ১৮৭০) পূর্বের প্রথম সূত্রে হাদীসটি উল্লেখ করে বলেছেনঃ ইসহাক ইবনু বিশর কাহেলী মিথ্যুক। তার পরেও তিনি এ সূত্রে হাদীসটিকে “আলজামেউস সাগীর” গ্রন্থে উল্লেখ করেছেন।

إذا خطب أحدكم المرأة، فليسأل عن شعرها، كما يسأل عن جمالها، فإن الشعر أحد الجمالين
موضوع

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رواه الديلمي في " مسند الفردوس " (1 / 1 / 110) من طريق إسحاق بن بشر الكاهلي عن عبد الله بن إدريس المديني عن جعفر بن محمد عن أبيه عن جده عن علي رضي الله عنه مرفوعا.
قلت: وهذا إسناد موضوع، آفته إسحاق هذا، قال الدارقطني: " يضع الحديث ". وعبد الله بن إدريس المديني لم أعرفه.
وللحديث طريق أخرى عند الدارقطني من حديث أبي هريرة مرفوعا، وفيه الحسن بن علي العدوي، وهو كذاب وضاع، ومن هذه الطريق أورد الحديث ابن الجوزي في " الموضوعات " فأصاب، وذكر له السيوطي في " اللآلىء " (رقم 1870) طريقا هي التي قبل هذا، وقال: " إسحاق بن بشر الكاهلي كذاب "، ثم تناقض فأورده من هذا الوجه في " الجامع الصغير " الذي نص في مقدمته: أنه صانه عما تفرد به كذاب أووضاع! ولذلك تعقبه المناوي في شرحه بما نقلته عنه من كلامه في " اللآلىء "، وأورده ابن عراق في " الفصل الأول من كتاب النكاح " من " تنزيه الشريعة " (300 / 1) هذا الفصل الذي نص في مقدمة كتابه أنه يورد فيه ما حكم ابن الجوزي بوضعه ولم يخالف. فاعتبر السيوطي موافقا لابن الجوزي في حكمه على الحديث بالوضع، فانظر ما أشد تناقض السيوطي عفا الله عنا وعنه

اذا خطب احدكم المراة، فليسال عن شعرها، كما يسال عن جمالها، فان الشعر احد الجمالين موضوع - رواه الديلمي في " مسند الفردوس " (1 / 1 / 110) من طريق اسحاق بن بشر الكاهلي عن عبد الله بن ادريس المديني عن جعفر بن محمد عن ابيه عن جده عن علي رضي الله عنه مرفوعا. قلت: وهذا اسناد موضوع، افته اسحاق هذا، قال الدارقطني: " يضع الحديث ". وعبد الله بن ادريس المديني لم اعرفه. وللحديث طريق اخرى عند الدارقطني من حديث ابي هريرة مرفوعا، وفيه الحسن بن علي العدوي، وهو كذاب وضاع، ومن هذه الطريق اورد الحديث ابن الجوزي في " الموضوعات " فاصاب، وذكر له السيوطي في " اللالىء " (رقم 1870) طريقا هي التي قبل هذا، وقال: " اسحاق بن بشر الكاهلي كذاب "، ثم تناقض فاورده من هذا الوجه في " الجامع الصغير " الذي نص في مقدمته: انه صانه عما تفرد به كذاب اووضاع! ولذلك تعقبه المناوي في شرحه بما نقلته عنه من كلامه في " اللالىء "، واورده ابن عراق في " الفصل الاول من كتاب النكاح " من " تنزيه الشريعة " (300 / 1) هذا الفصل الذي نص في مقدمة كتابه انه يورد فيه ما حكم ابن الجوزي بوضعه ولم يخالف. فاعتبر السيوطي موافقا لابن الجوزي في حكمه على الحديث بالوضع، فانظر ما اشد تناقض السيوطي عفا الله عنا وعنه
হাদিসের মানঃ জাল (Fake)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
যঈফ ও জাল হাদিস
১/ বিবিধ