বুলুগুল মারাম পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع)
৭৮২

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - উত্তম ক্রয়-বিক্রয়ের ফযীলত

৭৮২. রিফা’আহ বিন রাফি’ (রাঃ) থেকে বর্ণিত যে, নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম জিজ্ঞাসিত হয়েছিলেন- ’কোন প্রকারের জীবিকা উত্তম?’ উত্তরে তিনি বললেন— নিজ হাতের কামাই এবং সৎ ব্যবসায়। -হাকিম একে সহীহ বলেছেন।[1]

عَنْ رِفَاعَةَ بْنِ رَافِعٍ - رضي الله عنه - أَنَّ النَّبِيَّ - صلى الله عليه وسلم - سُئِلَ: أَيُّ الْكَسْبِ أَطْيَبُ? قَالَ: «عَمَلُ الرَّجُلِ بِيَدِهِ, وَكُلُّ بَيْعٍ مَبْرُورٍ». رَوَاهُ الْبَزَّارُ، وَصَحَّحَهُ الْحَاكِمُ

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صحيح. رواه البزار (2/ 83 / كشف الأستار)، الحاكم (2/ 10) قلت: وقد اختُلف في إسناده، وأيضًا اختلف في وصله وإرساله، فرجّح بعضهم الإرسال. قلت: ولكن للحديث شواهد منها ما رواه الطبراني في «الأوسط» (1944 / مجمع) من حديث ابن عمر بسند لا بأس به

عن رفاعة بن رافع - رضي الله عنه - أن النبي - صلى الله عليه وسلم - سئل: أي الكسب أطيب? قال: «عمل الرجل بيده, وكل بيع مبرور». رواه البزار، وصححه الحاكم - صحيح. رواه البزار (2/ 83 / كشف الأستار)، الحاكم (2/ 10) قلت: وقد اختلف في إسناده، وأيضا اختلف في وصله وإرساله، فرجح بعضهم الإرسال. قلت: ولكن للحديث شواهد منها ما رواه الطبراني في «الأوسط» (1944 / مجمع) من حديث ابن عمر بسند لا بأس به

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৮৩

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - যে সমস্ত ক্ৰয়-বিক্রয় নিষেধ করা হয়েছে

৭৮৩. জাবির ইবনু ’আবদুল্লাহ (রাঃ) হতে বর্ণিত যে, তিনি আল্লাহর রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম-কে মক্কাহ বিজয়ের বছর মক্কাহয় অবস্থানকালে বলতে শুনেছেন : আল্লাহ তা’আলা ও তাঁর রসূল হারাম করে দিয়েছেন মদ, মৃতপ্রাণী, শূকর ও মূর্তি ক্রয় বিক্রয়। তাঁকে জিজ্ঞেস করা হলো, হে আল্লাহর রসূল! মৃত জন্তুর চর্বি সম্পর্কে আপনি কী বলেন? তা দিয়ে তো নৌকায় প্রলেপ দেয়া হয় এবং চামড়া তৈলাক্ত করা হয়। আর লোকে তা প্ৰদীপ জ্বালিয়ে থাকে। তিনি বললেন, না, সেটিও হারাম। তারপর আল্লাহর রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেন, আল্লাহ তা’আলা ইয়াহুদীদের ধ্বংস করুন। আল্লাহ যখন তাদের জন্য মৃত জিনিসের চর্বি হারাম করে দেন, তখন তারা তা সংগ্রহ করে, তা বিক্রি করে তার মূল্য ভক্ষণ করে।[1]


ক্রেতা এবং বিক্রেতার মতবিরোধের বিধান

৭৮৩-১. ইবনু মাস’উদ (রাঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন, আমি রসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম-কে বলতে শুনেছিঃ ক্রেতা ও বিক্রেতার মধ্যে মতবিরোধের সময় যদি কোন সাক্ষ্য প্রমাণ না থাকে সেক্ষেত্রে বিক্রেতার কথাই গ্রহণযোগ্য হবে নতুবা তারা চুক্তি বাতিল করবে। —হাকিম একে সহীহ বলেছেন।[2]

وَعَنْ جَابِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ -رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا: أَنَّهُ سَمِعَ رَسُولَ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - يَقُولُ عَامَ الْفَتْحِ, وَهُوَ بِمَكَّةَ: إِنَّ اللَّهَ وَرَسُولَهُ حَرَّمَ بَيْعَ الْخَمْرِ, وَالْمَيْتَةِ, وَالْخِنْزِيرِ, وَالْأَصْنَامِ
فَقِيلَ: يَا رَسُولَ اللَّهِ، أَرَأَيْتَ شُحُومَ الْمَيْتَةِ, فَإِنَّهُ تُطْلَى بِهَا السُّفُنُ, وَتُدْهَنُ بِهَا الْجُلُودُ, وَيَسْتَصْبِحُ بِهَا النَّاسُ فَقَالَ: «لَا، هُوَ حَرَامٌ» , ثُمَّ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - عِنْدَ ذَلِكَ: «قَاتَلَ اللَّهُ الْيَهُودَ, إِنَّ اللَّهَ لَمَّا حَرَّمَ عَلَيْهِمْ شُحُومَهَا جَمَلُوهُ, ثُمَّ بَاعُوهُ, فَأَكَلُوا ثَمَنَهُ». مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ

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صحيح. رواه البخاري (2236)، ومسلم (1581)، وجملوه، أذابوه

وعن جابر بن عبد الله -رضي الله عنهما: أنه سمع رسول الله - صلى الله عليه وسلم - يقول عام الفتح, وهو بمكة: إن الله ورسوله حرم بيع الخمر, والميتة, والخنزير, والأصنام فقيل: يا رسول الله، أرأيت شحوم الميتة, فإنه تطلى بها السفن, وتدهن بها الجلود, ويستصبح بها الناس فقال: «لا، هو حرام» , ثم قال رسول الله - صلى الله عليه وسلم - عند ذلك: «قاتل الله اليهود, إن الله لما حرم عليهم شحومها جملوه, ثم باعوه, فأكلوا ثمنه». متفق عليه - صحيح. رواه البخاري (2236)، ومسلم (1581)، وجملوه، أذابوه

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
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বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৮৪

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - নিকৃষ্ট উপাৰ্জনসমূহ

৭৮৪. আবূ মাস’উদ আনসারী (রাঃ) হতে বর্ণিত যে, আল্লাহর রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম নিষেধ করেছেন কুকুরের মূল্য, ব্যভিচারের বিনিময় এবং গণকের পারিশ্রমিক (গ্রহণ করতে)।[1]

وَعَنْ أَبِي مَسْعُودٍ - رضي الله عنه: أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - نَهَى عَنْ ثَمَنِ الْكَلْبِ, وَمَهْرِ الْبَغِيِّ, وَحُلْوَانِ الْكَاهِنِ. مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ

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صحيح. رواه البخاري (2237)، ومسلم (1567) قلت: وفي الحديث تحريم ثلاثة أشياء: الأول: تحريم ثمن الكلب، وهو عامّ يشمل كل كلب، كما هو قول مالك، والشافعي. الثاني: تحريم مهر البغيّ، وهو ما تأخذه الزانية على الزنا. الثالث: تحريم حُلْوان الكاهن، وهو ما يأخذه الكاهن على كهانته، وهو حرام بالإجماع لما فيه من أخذ العِوض على أمر باطل، وفي معناه التنجيم، والضرب بالحصى، وغير ذلك مما يتعاطاه العرّافون من استطلاع الغيب

وعن أبي مسعود - رضي الله عنه: أن رسول الله - صلى الله عليه وسلم - نهى عن ثمن الكلب, ومهر البغي, وحلوان الكاهن. متفق عليه - صحيح. رواه البخاري (2237)، ومسلم (1567) قلت: وفي الحديث تحريم ثلاثة أشياء: الأول: تحريم ثمن الكلب، وهو عام يشمل كل كلب، كما هو قول مالك، والشافعي. الثاني: تحريم مهر البغي، وهو ما تأخذه الزانية على الزنا. الثالث: تحريم حلوان الكاهن، وهو ما يأخذه الكاهن على كهانته، وهو حرام بالإجماع لما فيه من أخذ العوض على أمر باطل، وفي معناه التنجيم، والضرب بالحصى، وغير ذلك مما يتعاطاه العرافون من استطلاع الغيب

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
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বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৮৫

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - বিক্রিত দ্রব্য থেকে সুবিধা পাওয়ার জন্য শর্তারোপ করার বিধান

৭৮৫. জাবির ইবনু ’আবদুল্লাহ (রাঃ) থেকে বর্ণিত— তিনি একটা উটের উপর উপবিষ্ট ছিলেন। উটটি অচল হয়ে যাওয়াতে তাকে ছেড়ে দেয়ার ইরাদা করলেন; তিনি বলেন, তখন নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম-এর সাথে আমার সাক্ষাত হলে তিনি আমার জন্য দু’আ করলেন, আর উটটিকে প্রহার করলেন, তারপর থেকে উটটি এমন গতিতে চলতে লাগল। যা ইতিপূর্বে আর চলেনি। তারপর নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম আমাকে বললেন- তুমি একে আমার নিকট এক উকিয়াহর বিনিময়ে বিক্রি কর। আমি বললাম, না। অতঃপর দ্বিতীয়বার তিনি বললেন, এটা আমার কাছে বিক্রি কর। ফলে আমি ঐট তাঁর নিকট এক উকিয়াহর মূল্যে বিক্রি করে দিলাম এবং বাড়ি পর্যন্ত তার উপর চড়ে যাবার শর্ত করে নিলাম। যখন বাড়ি পৌছালাম তখন উটটি নিয়ে তাঁর নিকটে এলাম। ফলে সেটির নগদ মূল্য তিনি দিয়ে দিলেন। তারপর ফিরে আসছি। এমন সময় তিনি আমার পেছনে লোক পাঠালেন এবং আমাকে বললেন- তুমি কি মনে করছ যে, আমি তোমার উটটি কম মূল্য দিয়ে নিতে চাচ্ছি- তুমি তোমার উট ও দিরহামগুলো নাও, এ (সবাই) তোমার জন্য। -এ (শব্দের) ধারাবাহিকতা মুসলিমের।[1]

وَعَنْ جَابِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ -رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا: أَنَّهُ كَانَ [يَسِيرُ] عَلَى جَمَلٍ لَهُ أَعْيَا. فَأَرَادَ أَنْ يُسَيِّبَهُ. قَالَ: فَلَحِقَنِي النَّبِيُّ - صلى الله عليه وسلم - فَدَعَا لِي, وَضَرَبَهُ، فَسَارَ سَيْرًا لَمْ يَسِرْ مِثْلَهُ, قَالَ: «بِعْنِيهِ بِوُقِيَّةٍ» قُلْتُ: لَا. ثُمَّ قَالَ: «بِعْنِيهِ» فَبِعْتُهُ بِوُقِيَّةٍ, وَاشْتَرَطْتُ حُمْلَانَهُ إِلَى أَهْلِي, فَلَمَّا بَلَغْتُ أَتَيْتُهُ بِالْجَمَلِ, فَنَقَدَنِي ثَمَنَهُ, ثُمَّ رَجَعْتُ فَأَرْسَلَ فِي أَثَرِي. فَقَالَ: «أَتُرَانِي مَاكَسْتُكَ لِآخُذَ جَمَلَكَ خُذْ جَمَلَكَ وَدَرَاهِمَكَ فَهُوَ لَكَ». مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ, وَهَذَا السِّيَاقُ لِمُسْلِمٍ

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صحيح. رواه البخاري (2861) مطوّلًا، وفي غير هذا الموطن مختصرًا. ورواه مسلم (3/ 1221 / رقم 109)

وعن جابر بن عبد الله -رضي الله عنهما: أنه كان [يسير] على جمل له أعيا. فأراد أن يسيبه. قال: فلحقني النبي - صلى الله عليه وسلم - فدعا لي, وضربه، فسار سيرا لم يسر مثله, قال: «بعنيه بوقية» قلت: لا. ثم قال: «بعنيه» فبعته بوقية, واشترطت حملانه إلى أهلي, فلما بلغت أتيته بالجمل, فنقدني ثمنه, ثم رجعت فأرسل في أثري. فقال: «أتراني ماكستك لآخذ جملك خذ جملك ودراهمك فهو لك». متفق عليه, وهذا السياق لمسلم - صحيح. رواه البخاري (2861) مطولا، وفي غير هذا الموطن مختصرا. ورواه مسلم (3/ 1221 / رقم 109)

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
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বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৮৬

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - “মুদাব্বার” গোলাম বিক্রির বিধান

৭৮৬. জাবির (রাঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন, কোন এক সাহাবী তাঁর একমাত্র দাসকে মুদাব্বের করে মুক্ত করার ব্যবস্থা করেন। সেটি ছাড়া তার আর কোন সম্পদ ছিল না। ফলে নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম দাসটিকে নিয়ে ডেকে আনালেন ও বিক্রি করে দিলেন।[1]

وَعَنْهُ قَالَ: أَعْتَقَ رَجُلٌ مِنَّا عَبْدًا لَهُ عَنْ دُبُرٍ لَمْ يَكُنْ لَهُ مَالٌ غَيْرُهُ. فَدَعَا بِهِ النَّبِيُّ - صلى الله عليه وسلم - فَبَاعَهُ. مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ

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صحيح. رواه البخاري (2141)، وأقرب ألفاظ البخاري للفظ الذي ذكره الحافظ فهو برقم (2534) و (7186) وأما لفظ مسلم (997) عن جابر قال: أعتق رجل من بني عُذْرة عبدًا له عن دُبُر. فبلغ ذلك رسول الله -صلى الله عليه وسلم-، فقال: «ألك مال غيره؟» فقال: لا. فقال: «من يشتريه مني»؟ فاشتراه نُعيم بن عبد الله العدوي بثمانمائة درهم، فجاء بها رسول الله -صلى الله عليه وسلم-، فدفعها إليه. ثم قال: «ابدأ بنفسك، فتصدق عليها، فإن فضَل شيء فلأهلك، فإن فضل عن أهلك شيء فلذي قرابتك، فإن فضل عن ذي قرابتك شيء، فهكذا. وهكذا» يقول: فبين يديك، وعن يمينك، وعن شمالك قلت: وقوله: «عن دُبُر»: أي: علق عتقه بموته، كأن يقول: أنت حر بعد وفاتي

وعنه قال: أعتق رجل منا عبدا له عن دبر لم يكن له مال غيره. فدعا به النبي - صلى الله عليه وسلم - فباعه. متفق عليه - صحيح. رواه البخاري (2141)، وأقرب ألفاظ البخاري للفظ الذي ذكره الحافظ فهو برقم (2534) و (7186) وأما لفظ مسلم (997) عن جابر قال: أعتق رجل من بني عذرة عبدا له عن دبر. فبلغ ذلك رسول الله -صلى الله عليه وسلم-، فقال: «ألك مال غيره؟» فقال: لا. فقال: «من يشتريه مني»؟ فاشتراه نعيم بن عبد الله العدوي بثمانمائة درهم، فجاء بها رسول الله -صلى الله عليه وسلم-، فدفعها إليه. ثم قال: «ابدأ بنفسك، فتصدق عليها، فإن فضل شيء فلأهلك، فإن فضل عن أهلك شيء فلذي قرابتك، فإن فضل عن ذي قرابتك شيء، فهكذا. وهكذا» يقول: فبين يديك، وعن يمينك، وعن شمالك قلت: وقوله: «عن دبر»: أي: علق عتقه بموته، كأن يقول: أنت حر بعد وفاتي

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
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পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৮৭

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - ইঁদুর পড়ে যাওয়া ঘিয়ের বিধান

৭৮৭. নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম এর স্ত্রী মাইমুনাহ (রাঃ) থেকে বর্ণিত যে, ঘি-এর মধ্যে পড়ে ইঁদুর মারা যাওয়া সম্বন্ধে নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম কে জিজ্ঞেস করা হলে তিনি বললেন, ইঁদুরটিকে উঠিয়ে ফেলে তার চারপাশের ঘি ফেলে দিয়ে তা খাও। -আহমাদ ও নাসায়ী বৃদ্ধি করেছেন: “জমে যাওয়া ঘি-এর জন্য (এরূপ ব্যবস্থা)”।[1]

وَعَنْ مَيْمُونَةَ زَوْجِ النَّبِيِّ - صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ, وَرَضِيَ عَنْهَا -; أَنَّ فَأْرَةً وَقَعَتْ فِي سَمْنٍ, فَمَاتَتْ فِيهِ, فَسُئِلَ النَّبِيُّ - صلى الله عليه وسلم - عَنْهَا. فَقَالَ: «أَلْقُوهَا وَمَا حَوْلَهَا, وَكُلُوهُ». رَوَاهُ الْبُخَارِيُّ
وَزَادَ أَحْمَدُ. وَالنَّسَائِيُّ: فِي سَمْنٍ جَامِدٍ

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صحيح. رواه البخاري (5540)
رواه النسائي (7/ 178)، وأحمد (6/ 330)

وعن ميمونة زوج النبي - صلى الله عليه وسلم, ورضي عنها -; أن فأرة وقعت في سمن, فماتت فيه, فسئل النبي - صلى الله عليه وسلم - عنها. فقال: «ألقوها وما حولها, وكلوه». رواه البخاري وزاد أحمد. والنسائي: في سمن جامد - صحيح. رواه البخاري (5540) رواه النسائي (7/ 178)، وأحمد (6/ 330)

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
বর্ণনাকারীঃ মাইমূনাহ (রাঃ)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৮৮

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - ইঁদুর পড়ে যাওয়া ঘিয়ের বিধান

৭৮৮. আবূ হুরাইরা (রাঃ) হতে বর্ণিত, তিনি বলেন, আল্লাহর রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেছেন- যদি জমা ঘি-এর মধ্যে ইঁদুর পড়ে তাহলে ইঁদুরটি ও তার আশেপাশের ঘি ফেলে দাও, আর যদি ঘি তরল হয় তাহলে (ঘি নেয়ার জন্য) এগিয়ো না। (তা সম্পূর্ণ গ্রহণের অনুপযোগী)। -বুখারী ও আবূ হাতিম এ হাদীসের রাবীর উপর অহমের হুকুম জারী করেছেন (তার স্মৃতিশক্তি ছিল দুর্বল)।[1]

وَعَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ - رضي الله عنه - قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم: «إِذَا وَقَعَتِ الْفَأْرَةُ فِي السَّمْنِ, فَإِنْ كَانَ جَامِدًا فَأَلْقُوهَا وَمَا حَوْلَهَا, وَإِنْ كَانَ مَايِعًا فَلَا تَقْرَبُوهُ». رَوَاهُ أَحْمَدُ, وَأَبُو دَاوُدَ, وَقَدْ حَكَمَ عَلَيْهِ الْبُخَارِيُّ وَأَبُو حَاتِمٍ بِالْوَهْمِ

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رواه أحمد (2/ 232 و 233 و 265 و 490)، وأبو داود (3842) من طريق معمر، عن الزهري، عن ابن المسيب، عن أبي هريرة به. والقول في الحديث ما قاله البخاري وأبو حاتم، فأما قول البخاري، فقد قال الترمذي في «السنن» (4/ 226): «هذا خطأ. أخطأ فيه معمر». وقال أبو حاتم فيما نقله عنه ابنه في «العِلل» (2/ 12 / 1507): وهم

وعن أبي هريرة - رضي الله عنه - قال: قال رسول الله - صلى الله عليه وسلم: «إذا وقعت الفأرة في السمن, فإن كان جامدا فألقوها وما حولها, وإن كان مايعا فلا تقربوه». رواه أحمد, وأبو داود, وقد حكم عليه البخاري وأبو حاتم بالوهم - رواه أحمد (2/ 232 و 233 و 265 و 490)، وأبو داود (3842) من طريق معمر، عن الزهري، عن ابن المسيب، عن أبي هريرة به. والقول في الحديث ما قاله البخاري وأبو حاتم، فأما قول البخاري، فقد قال الترمذي في «السنن» (4/ 226): «هذا خطأ. أخطأ فيه معمر». وقال أبو حاتم فيما نقله عنه ابنه في «العلل» (2/ 12 / 1507): وهم

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
বর্ণনাকারীঃ আবূ হুরায়রা (রাঃ)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৮৯

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - কুকুর এবং বিড়াল ক্ৰয় বিক্রয়ের বিধান

৭৮৯. আবূ যুবাইর (রহঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি জাবির (রাঃ)-কে বিড়াল ও কুকুরের মূল্য (এর বৈধাবৈধ) সম্বন্ধে জিজ্ঞেস করলে তিনি বলেন, নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম এর কারণে ধমক দিয়েছেন। --নাসায়ীতে রয়েছে শিকারী কুকুরের মূল্য ব্যতীত। অর্থাৎ শিকারী কুকুরের মূল্য বৈধ।[1]

وَعَنْ أَبِي الزُّبَيْرِ قَالَ: سَأَلْتُ جَابِرًا عَنْ ثَمَنِ السِّنَّوْرِ وَالْكَلْبِ فَقَالَ: زَجَرَ النَّبِيُّ - صلى الله عليه وسلم - عَنْ ذَلِكَ. رَوَاهُ مُسْلِمٌ
وَالنَّسَائِيُّ وَزَادَ: إِلَّا كَلْبَ صَيْدٍ

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صحيح. رواه مسلم (1569)
رواه النسائي (7/ 190 و 309) وقال في الموطن الأول: «ليس بصحيح» وقال في الثاني: منكر

وعن أبي الزبير قال: سألت جابرا عن ثمن السنور والكلب فقال: زجر النبي - صلى الله عليه وسلم - عن ذلك. رواه مسلم والنسائي وزاد: إلا كلب صيد - صحيح. رواه مسلم (1569) رواه النسائي (7/ 190 و 309) وقال في الموطن الأول: «ليس بصحيح» وقال في الثاني: منكر

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
বর্ণনাকারীঃ আবুয্ যুবায়র (রহঃ)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯০

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - শরীয়ত সম্মত সকল শর্তের বৈধতা এবং এছাড়া অন্য সকল শর্ত বাতিল বলে গন্য হওয়া

৭৯০. ’আয়িশা (রাঃ) হতে বৰ্ণিত। তিনি বলেন, বারীরাহ (রাঃ) আমার কাছে এসে বলল, আমি আমার মালিক পক্ষের সাথে নয় উকিয়া দেয়ার শর্তে মুকাতাবা[1] করেছি- প্রতি বছর যা হতে এক উকিয়া করে দিতে হবে। আপনি (এ ব্যাপারে)। আমাকে সাহায্য করুন। আমি বললাম, যদি তোমার মালিক পক্ষ পছন্দ করে যে, আমি তাদের একবারেই তা পরিশোধ করব এবং তোমার ওয়ালা-এর অধিকার আমার হবে, তবে আমি তা করব। তখন বারীরাহ (রাঃ) তার মালিকদের নিকট গিয়ে তা বলল। তারা তাতে অস্বীকৃতি জানাল। বারীরাহ (রাঃ) তাদের নিকট হতে (আমার কাছে) এল। আর তখন আল্লাহর রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম সেখানে উপস্থিত ছিলেন। সে বলল, আমি (আপনার) সে কথা তাদের কাছে পেশ করেছিলাম। কিন্তু তারা নিজেদের জন্য ওয়ালার অধিকার সংরক্ষণ ছাড়া রায়ী হয়নি।

নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম তা শুনলেন, ’আয়িশা (রাঃ) নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম-কে তা সবিস্তারে জানালেন। তিনি বললেন, তুমি তাকে নিয়ে নাও এবং তাদের জন্য ওয়ালার শর্ত মেনে নাও। কেননা, ওয়ালা এর হক তারই, যে আযাদ করে। ’আয়িশা (রাঃ) তাই করলেন। এরপর আল্লাহর রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম জনসমক্ষে দাঁড়িয়ে আল্লাহর হামদ ও সানা বর্ণনা করলেন। তারপর বললেন, লোকদের কী হলো যে, তারা আল্লাহর বিধান বহির্ভূত শর্তারোপ করে। আল্লাহর বিধানে যে শর্তের উল্লেখ নেই, তা বাতিল বলে গণ্য, একশত শর্ত করলেও না। আল্লাহর ফায়সালাই সঠিক, আল্লাহর শর্তই সুদৃঢ়। ওয়ালার হাক্ব তো তারই, যে মুক্ত করে। শব্দ বিন্যাস বুখারীর। মুসলিমে আছে- নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম আয়িশা (রাঃ)-কে বললেন, তাকে কিনে নাও, তাদের জন্য অলা-র শর্ত কর।[2]

وَعَنْ عَائِشَةَ -رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا- قَالَتْ: جَاءَتْنِي بَرِيرَةُ, فَقَالَتْ: كَاتَبْتُ أَهْلِي عَلَى تِسْعٍ أُوَاقٍ, فِي كُلِّ عَامٍ أُوقِيَّةٌ, فَأَعِينِينِي. فَقُلْتُ: إِنْ أَحَبَّ أَهْلُكِ أَنْ أَعُدَّهَا لَهُمْ وَيَكُونَ وَلَاؤُكِ لِي فَعَلْتُ, فَذَهَبَتْ بَرِيرَةُ إِلَى أَهْلِهَا. فَقَالَتْ لَهُمْ; فَأَبَوْا عَلَيْهَا, فَجَاءَتْ مِنْ عِنْدِهِمْ, وَرَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - جَالِسٌ. فَقَالَتْ: إِنِّي قَدْ عَرَضْتُ ذَلِكَ عَلَيْهِمْ فَأَبَوْا إِلَّا أَنْ يَكُونَ الْوَلَاءُ لَهُمْ, فَسَمِعَ النَّبِيُّ - صلى الله عليه وسلم - فَأَخْبَرَتْ عَائِشَةُ النَّبِيَّ - صلى الله عليه وسلم -. فَقَالَ: «خُذِيهَا وَاشْتَرِطِي لَهُمُ الْوَلَاءَ, فَإِنَّمَا الْوَلَاءُ لِمَنْ أَعْتَقَ» فَفَعَلَتْ عَائِشَةُ, ثُمَّ قَامَ رَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - فِي النَّاسِ [خَطِيبًا] , فَحَمِدَ اللَّهَ وَأَثْنَى عَلَيْهِ. ثُمَّ قَالَ: «أَمَّا بَعْدُ, مَا بَالُ رِجَالٍ يَشْتَرِطُونَ شُرُوطًا لَيْسَتْ فِي كِتَابِ اللَّهِ - عز وجل - مَا كَانَ مِنْ شَرْطٍ لَيْسَ فِي كِتَابِ اللَّهِ فَهُوَ بَاطِلٌ, وَإِنْ كَانَ مِائَةَ شَرْطٍ, قَضَاءُ اللَّهِ أَحَقُّ, وَشَرْطُ اللَّهِ أَوْثَقُ, وَإِنَّمَا الْوَلَاءُ لِمَنْ أَعْتَقَ». مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ, وَاللَّفْظُ لِلْبُخَارِيِّ
وَعِنْدَ مُسْلِمٍ فَقَالَ: اشْتَرِيهَا وَأَعْتِقِيهَا وَاشْتَرِطِي لَهُمُ الْوَلَاءَ

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صحيح. رواه البخاري (2168)، ومسلم (1504)

وعن عائشة -رضي الله عنها- قالت: جاءتني بريرة, فقالت: كاتبت أهلي على تسع أواق, في كل عام أوقية, فأعينيني. فقلت: إن أحب أهلك أن أعدها لهم ويكون ولاؤك لي فعلت, فذهبت بريرة إلى أهلها. فقالت لهم; فأبوا عليها, فجاءت من عندهم, ورسول الله - صلى الله عليه وسلم - جالس. فقالت: إني قد عرضت ذلك عليهم فأبوا إلا أن يكون الولاء لهم, فسمع النبي - صلى الله عليه وسلم - فأخبرت عائشة النبي - صلى الله عليه وسلم -. فقال: «خذيها واشترطي لهم الولاء, فإنما الولاء لمن أعتق» ففعلت عائشة, ثم قام رسول الله - صلى الله عليه وسلم - في الناس [خطيبا] , فحمد الله وأثنى عليه. ثم قال: «أما بعد, ما بال رجال يشترطون شروطا ليست في كتاب الله - عز وجل - ما كان من شرط ليس في كتاب الله فهو باطل, وإن كان مائة شرط, قضاء الله أحق, وشرط الله أوثق, وإنما الولاء لمن أعتق». متفق عليه, واللفظ للبخاري وعند مسلم فقال: اشتريها وأعتقيها واشترطي لهم الولاء - صحيح. رواه البخاري (2168)، ومسلم (1504)

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯১

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - উম্মুল আলাদ (যে দাসীর গর্ভে মনিবের সন্তান জন্মগ্রহন করেছে তার) বিক্রয়ের বিধান

৭৯১. ইবনু ’উমার (রাঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন, উমার (রাঃ) জননী দাসী বিক্রি করতে নিষেধ করেছেন, তিনি বলেছেন, বিক্রি করা যাবে না, হেবা (দান) করা যাবে না, ওয়ারিস হিসেবেও কেউ তাকে অধিগ্রহণ করতে পারবে না। তার মালিক যতদিন চাইবে ততদিন তার দ্বারা ফায়দা উঠাবে। মালিকের মৃত্যুর পর সে স্বাধীন হয়ে যাবে। —বাইহাকী বলেছেন- এ হাদীসের কিছু বর্ণনাকারী, অহম বা অনিশ্চয়তার ভিত্তিতে ’মারফূ’ বৰ্ণনা করেছেন।[1]

وَعَنِ ابْنِ عُمَرَ - رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا - قَالَ: نَهَى عُمَرُ عَنْ بَيْعِ أُمَّهَاتِ الْأَوْلَادِ، فَقَالَ: لَا تُبَاعُ, وَلَا تُوهَبُ, وَلَا تُورَثُ, لِيَسْتَمْتِعْ بِهَا مَا بَدَا لَهُ، فَإِذَا مَاتَ فَهِيَ حُرَّةٌ. رَوَاهُ مَالِكٌ, وَالْبَيْهَقِيُّ, وَقَالَ: رَفَعَهُ بَعْضُ الرُّوَاةِ, فَوَهِمَ

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صحيح موقوفًا. رواه مالك في «الموطأ» (2/ 776 / 6)، والبيهقي في «الكبرى» (10/ 342 - 343) وقال البيهقي: «وغلط فيه بعض الرواة» فرفعه إلى النبي -صلى الله عليه وسلم-، وهو وَهْم لا يحل ذِكره

وعن ابن عمر - رضي الله عنهما - قال: نهى عمر عن بيع أمهات الأولاد، فقال: لا تباع, ولا توهب, ولا تورث, ليستمتع بها ما بدا له، فإذا مات فهي حرة. رواه مالك, والبيهقي, وقال: رفعه بعض الرواة, فوهم - صحيح موقوفا. رواه مالك في «الموطأ» (2/ 776 / 6)، والبيهقي في «الكبرى» (10/ 342 - 343) وقال البيهقي: «وغلط فيه بعض الرواة» فرفعه إلى النبي -صلى الله عليه وسلم-، وهو وهم لا يحل ذكره

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯২

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - উম্মুল আলাদ (যে দাসীর গর্ভে মনিবের সন্তান জন্মগ্রহন করেছে তার) বিক্রয়ের বিধান

৭৯২. জাবির (রাঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি বলেছেন, আমরা জননী দাসী বিক্রি করে দিতাম। আর নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম আমাদের মধ্যে জীবিত ছিলেন, এ বিষয়টিকে আমরা দোষ হিসেবে দেখতাম না। -ইবনু হিব্বান একে সহীহ বলেছেন।[1]

وَعَنْ جَابِرٍ - رضي الله عنه - قَالَ: كُنَّا نَبِيعُ سَرَارِيَنَا, أُمَّهَاتِ الْأَوْلَادِ, وَالنَّبِيُّ - صلى الله عليه وسلم - حَيٌّ, لَا نَرَى بِذَلِكَ بَأْسًا. رَوَاهُ النَّسَائِيُّ, وَابْنُ مَاجَهْ وَالدَّارَقُطْنِيُّ, وَصَحَّحَهُ ابْنُ حِبَّانَ

-

صحيح. رواه النسائي في «الكبرى» (3/ 199)، وابن ماجه (2517)، والدارقطني (4/ 135 / 37) وابن حبان (1215) قلت: وفي رواية أخرى لحديث جابر قال: بِعنا أمهات الأولاد على عهد رسول الله -صلى الله عليه وسلم-، وأبي بكر، فلما كان عمر نهانا، فانتهينا

وعن جابر - رضي الله عنه - قال: كنا نبيع سرارينا, أمهات الأولاد, والنبي - صلى الله عليه وسلم - حي, لا نرى بذلك بأسا. رواه النسائي, وابن ماجه والدارقطني, وصححه ابن حبان - صحيح. رواه النسائي في «الكبرى» (3/ 199)، وابن ماجه (2517)، والدارقطني (4/ 135 / 37) وابن حبان (1215) قلت: وفي رواية أخرى لحديث جابر قال: بعنا أمهات الأولاد على عهد رسول الله -صلى الله عليه وسلم-، وأبي بكر، فلما كان عمر نهانا، فانتهينا

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯৩

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - উদ্ধৃত পানি বিক্রয় করা এবং মাদী জন্তুর উপর নর উঠানোর মজুরী গ্ৰহণ করা নিষেধ

৭৯৩। জাবির বিন আবদুল্লাহ থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন, রসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম উদ্ধৃত্ত পানি বিক্রি করতে নিষেধ করেছেন।

(মুসলিমের) অন্য বর্ণনায় আছে- নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম নরকে মাদীর উপর (গর্ভসঞ্চারের উদ্দেশ্যে যৌন মিলন ঘটানোর ব্যবস্থা বিক্রি করতে) উঠাতে নিষেধ করেছেন।[1]

وَعَنْ جَابِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ -رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا- قَالَ: نَهَى النَّبِيُّ - صلى الله عليه وسلم - عَنْ بَيْعِ فَضْلِ الْمَاءِ. رَوَاهُ مُسْلِمٌ
وَزَادَ فِي رِوَايَةٍ: وَعَنْ بَيْعِ ضِرَابِ الْجَمَلِ

-

صحيح. رواه مسلم (1565)
صحيح مسلم (1565) (35) وتمامها: «وعن بيع الماء والأرض لتحرث، فعن ذلك نهى النبي -صلى الله عليه وسلم

وعن جابر بن عبد الله -رضي الله عنهما- قال: نهى النبي - صلى الله عليه وسلم - عن بيع فضل الماء. رواه مسلم وزاد في رواية: وعن بيع ضراب الجمل - صحيح. رواه مسلم (1565) صحيح مسلم (1565) (35) وتمامها: «وعن بيع الماء والأرض لتحرث، فعن ذلك نهى النبي -صلى الله عليه وسلم

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯৪

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - উদ্ধৃত পানি বিক্রয় করা এবং মাদী জন্তুর উপর নর উঠানোর মজুরী গ্ৰহণ করা নিষেধ

৭৯৪. ইবনু ’উমার (রাঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন, রসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম পশুকে পাল দেয়া বাবদ বিনিময় নিতে নিষেধ করেছেন।[1]

وَعَنِ ابْنِ عُمَرَ -رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا- قَالَ: نَهَى رَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - عَنْ عَسْبِ الْفَحْلِ. رَوَاهُ الْبُخَارِيُّ

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صحيح. رواه البخاري (2284) وعَسْب: بفتح فسكون. وهو ثمن ماء الفحل، وقيل: أُجرة الجماع. قاله الحافظ

وعن ابن عمر -رضي الله عنهما- قال: نهى رسول الله - صلى الله عليه وسلم - عن عسب الفحل. رواه البخاري - صحيح. رواه البخاري (2284) وعسب: بفتح فسكون. وهو ثمن ماء الفحل، وقيل: أجرة الجماع. قاله الحافظ

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯৫

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - যে সমস্ত ব্যবসা নিষিদ্ধ

৭৯৫. ’আবদুল্লাহ ইবনু ’উমার (রাঃ) হতে বর্ণিত যে, আল্লাহর রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম নিষেধ করেছেন গৰ্ভস্থত বাচ্চার গর্ভের প্রসবের মেয়াদের উপর বিক্রি করতে। এটি জাহিলিয়াতের যুগে প্রচলিত এক ধরনের বিক্রি ব্যবস্থা। কেউ এ শর্তে উটনী ক্রয় করত যে, এই উটনীটি প্রসব করবে। পরে ঐ শাবক। তার গৰ্ভ প্রসব করার পর তার মূল্য পরিশোধ করা হবে। —শব্দ বিন্যাস বুখারীর।[1]

وَعَنْهُ; - أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - نَهَى عَنْ بَيْعِ حَبَلِ الْحَبَلَةِ, وَكَانَ بَيْعًا يَتَبَايَعُهُ أَهْلُ الْجَاهِلِيَّةِ: كَانَ الرَّجُلُ يَبْتَاعُ الْجَزُورَ إِلَى أَنْ تُنْتَجَ النَّاقَةُ, ثُمَّ تُنْتَجُ الَّتِي فِي بَطْنِهَا. مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ, وَاللَّفْظُ لِلْبُخَارِيِّ

-

صحيح. رواه البخاري (2143)، ومسلم (1514) قلت: ولمسلم صدر الحديث مثل لفظ البخاري، وأما باقيه فلفظه عنده: كان أهل الجاهلية يتبايعون لحم الجَزور إلى حبَل الحبَلة. وحبَل الحبَلة أن تُنْتَج الناقة، ثم تحمل التي نُتِجَت. فنهاهم رسول الله -صلى الله عليه وسلم- عن ذلك

وعنه; - أن رسول الله - صلى الله عليه وسلم - نهى عن بيع حبل الحبلة, وكان بيعا يتبايعه أهل الجاهلية: كان الرجل يبتاع الجزور إلى أن تنتج الناقة, ثم تنتج التي في بطنها. متفق عليه, واللفظ للبخاري - صحيح. رواه البخاري (2143)، ومسلم (1514) قلت: ولمسلم صدر الحديث مثل لفظ البخاري، وأما باقيه فلفظه عنده: كان أهل الجاهلية يتبايعون لحم الجزور إلى حبل الحبلة. وحبل الحبلة أن تنتج الناقة، ثم تحمل التي نتجت. فنهاهم رسول الله -صلى الله عليه وسلم- عن ذلك

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯৬

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - ওয়ালা এর বিক্রয় এবং তা হেবা করা নিষেধ

৭৯৬. ইবনু ’উমার (রাঃ) থেকে বর্ণিত যে, রসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম ’অলা’-এর বিক্রয় ও হেব্বা (দান)-কে নিষিদ্ধ করেছেন।[1]

وَعَنْهُ- أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - نَهَى عَنْ بَيْعِ الْوَلَاءِ, وَعَنْ هِبَتِهِ. مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ

-

صحيح. رواه البخاري (6756)، ومسلم (1506)

وعنه- أن رسول الله - صلى الله عليه وسلم - نهى عن بيع الولاء, وعن هبته. متفق عليه - صحيح. رواه البخاري (6756)، ومسلم (1506)

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯৭

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - ধোঁকা দিয়ে বিক্রি করা নিষেধ

৭৯৭. আবূ হুরাইরা (রাঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন, রসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম নিষিদ্ধ করেছেন, কেনাবেচায় পাথর নিক্ষেপ প্ৰথা আর প্রতারণামূলক যাবতীয় ব্যবসায়।[1]

وَعَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ - رضي الله عنه - قَالَ: نَهَى رَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - عَنْ بَيْعِ الْحَصَاةِ, وَعَنْ بَيْعِ الْغَرَرِ. رَوَاهُ مُسْلِمٌ

-

صحيح. رواه مسلم (1513)

وعن أبي هريرة - رضي الله عنه - قال: نهى رسول الله - صلى الله عليه وسلم - عن بيع الحصاة, وعن بيع الغرر. رواه مسلم - صحيح. رواه مسلم (1513)

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
বর্ণনাকারীঃ আবূ হুরায়রা (রাঃ)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯৮

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - খাদ্য বস্তু হাতে আসার পূর্বেই মৌখিকভাবে বিক্রি করা নিষেধ

৭৯৮. আবূ হুরাইরা (রাঃ) থেকে বর্ণিত যে, রসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেছেন, যে ব্যক্তি খাদ্যবস্তু ক্রয় করলো, সে যেন তা না মেপে বিক্রি না করে।[1]

وَعَنْهُ: أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - قَالَ: «مَنِ اشْتَرَى طَعَامًا فَلَا يَبِعْهُ حَتَّى يَكْتَالَهُ». رَوَاهُ مُسْلِمٌ

-

صحيح. رواه مسلم (1528)

وعنه: أن رسول الله - صلى الله عليه وسلم - قال: «من اشترى طعاما فلا يبعه حتى يكتاله». رواه مسلم - صحيح. رواه مسلم (1528)

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
বর্ণনাকারীঃ আবূ হুরায়রা (রাঃ)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৭৯৯

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - এক জিনিস বিক্রির মধ্যে দুই জিনিস বিক্রি করার বিধান

৭৯৯. আবূ হুরাইরা (রাঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন, রসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম একই বিক্রয়ের মধ্যে দু’টি বিক্রয় সাব্যস্ত করাকে নিষিদ্ধ করেছেন। -তিরমিযী ও ইবনু হিব্বান একে সহীহ বলেছেন।

আবূ দাউদে আছে- যে ব্যক্তি একই বিক্রয়ের মধ্যে একাধিক বিক্রয় করতে চায় তার জন্য বিক্রয়টি কম-বেশী হবে—যা সুদ বলে গণ্য।[1]

وَعَنْهُ قَالَ: نَهَى رَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - عَنْ بَيْعَتَيْنِ فِي بَيْعَةٍ. رَوَاهُ أَحْمَدُ, وَالنَّسَائِيُّ, وَصَحَّحَهُ التِّرْمِذِيُّ, وَابْنُ حِبَّانَ
وَلِأَبِي دَاوُدَ: «مَنْ بَاعَ بَيْعَتَيْنِ فِي بَيْعَةٍ فَلَهُ أَوَكَسُهُمَا, أَوْ الرِّبَا

-

حسن. رواه أحمد (2/ 432 و 475 و 503)، والنسائي (7/ 295 - 296)، والترمذي (1231)، وابن حبان (1109 موارد) عن طريق محمد بن عمرو، عن أبي سلمة، عن أبي هريرة، به. وقال الترمذي: حديث حسن صحيح

رواه أبو داود (3460)

وعنه قال: نهى رسول الله - صلى الله عليه وسلم - عن بيعتين في بيعة. رواه أحمد, والنسائي, وصححه الترمذي, وابن حبان ولأبي داود: «من باع بيعتين في بيعة فله أوكسهما, أو الربا - حسن. رواه أحمد (2/ 432 و 475 و 503)، والنسائي (7/ 295 - 296)، والترمذي (1231)، وابن حبان (1109 موارد) عن طريق محمد بن عمرو، عن أبي سلمة، عن أبي هريرة، به. وقال الترمذي: حديث حسن صحيح رواه أبو داود (3460)

হাদিসের মানঃ হাসান (Hasan)
বর্ণনাকারীঃ আবূ হুরায়রা (রাঃ)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৮০০

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - ক্রয় বিক্রয়ের কতিপয় মাসআলা

৮০০. ’আমর বিন শু’আইব (রহঃ) থেকে বর্ণিত, তিনি তাঁর পিতা হতে, তিনি তাঁর দাদা (রাঃ) হতে বর্ণনা করে বলেন, রসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেছেন- ’সালাফ ও বিক্রয় বৈধ নয়’। ’একই বিক্রয়ে দু’টি শর্ত বৈধ নয়’। ’যাতে কোন জিম্মাদারী নেই তাতে কোন লাভ নেই’। যা তোমার দখলে নেই তা বিক্রয়যোগ্যও নয়। -তিরমিযী, ইবনু খুযাইমাহ ও হাকিম সহীহ বলেছেন।[1]

ইমাম হাকিম উলূমুল হাদীস গ্রন্থে উপরোক্ত সাহাবী থেকেই ইমাম আবূ হানীফা (র.)-এর একটি বর্ণন উদ্ধৃত করেন, তাতে রয়েছে। রাসূলুল্লাহ্ শর্তারোপ করে বিক্রি করা নিষেধ করেছেন। ইমাম তাবারানীও তাঁর আওসাত গ্রন্থে একই সানাদে এ হাদীসটি বর্ণনা করেছেন, যা গরীব।[2]

وَعَنْ عَمْرِوِ بْنِ شُعَيْبٍ, عَنْ أَبِيهِ, عَنْ جَدِّهِ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم: «لَا يَحِلُّ سَلَفٌ وَبَيْعٌ وَلَا شَرْطَانِ فِي بَيْعٍ, وَلَا رِبْحُ مَا لَمْ يُضْمَنْ, وَلَا بَيْعُ مَا لَيْسَ عِنْدَكَ». رَوَاهُ الْخَمْسَةُ, وَصَحَّحَهُ التِّرْمِذِيُّ, وَابْنُ خُزَيْمَةَ, وَالْحَاكِمُ

وَأَخْرَجَهُ فِي «عُلُومِ الْحَدِيثِ» مِنْ رِوَايَةِ أَبِي حَنِيفَةَ, عَنْ عَمْرٍو الْمَذْكُورِ بِلَفْظِ
نَهَى عَنْ بَيْعٍ وَشَرْطٍ» وَمِنْ هَذَا الْوَجْهِ أَخْرَجَهُ الطَّبَرَانِيُّ فِي «الْأَوْسَطِ» وَهُوَ غَرِيبٌ


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حسن. رواه أبو داود (3504)، والنسائي (7/ 288)، والترمذي (1234)، وابن ماجه (2188)، وأحمد (2/ 174 و 179 و 205) والحاكم (2/ 17) قوله: «سلف وبيع» قال ابن الأثير في «النهاية» (2/ 390): «هو مثل أن يقول: بعتك هذا العبد بألف على أن تسلفني ألفًا في متاع، أو على أن تقرضني ألفًا؛ لأنه إنما يُقرضه ليُحابيه في الثمن، فيدخل في حد الجهالة؛ ولأن كل قرض جر منفعة فهو رِبا؛ ولأن في العقد شرطًا لا يصح». قوله: «ولا شرطان في بيع» قال ابن الأثير (2/ 459): «هو كقولك: بعتك هذا الثوب نقدًا بدينار، ونسيئة بدينارين، وهو كالبيعتين في بيعة». قوله: «ولا ربح ما لم يضمن»: قال ابن الأثير (2/ 182): «هو أن يبيعه سلعة قد اشتراها ولم يكن قبضها بربح، فلا يصح البيع، ولا يحل الربح؛ لأنها في ضمان البائع الأول، وليست من ضمان الثاني، فربحها وخسارتها للأول». قوله: «وبيع ما ليس عندك»: قال الخطابي في «المعالم»: «يريد بيع العين دون بيع الصفة، ألا ترى أنه أجاز السلَم إلى الآجال، وهو بيع ما ليس عند البائع في الحال؟، وإنما نهى عن بيع ما ليس عند البائع من قبل الغرر، وذلك مثل أن يبيع عبد الآبق، أو جمله الشارد

وعن عمرو بن شعيب, عن أبيه, عن جده قال: قال رسول الله - صلى الله عليه وسلم: «لا يحل سلف وبيع ولا شرطان في بيع, ولا ربح ما لم يضمن, ولا بيع ما ليس عندك». رواه الخمسة, وصححه الترمذي, وابن خزيمة, والحاكم وأخرجه في «علوم الحديث» من رواية أبي حنيفة, عن عمرو المذكور بلفظ نهى عن بيع وشرط» ومن هذا الوجه أخرجه الطبراني في «الأوسط» وهو غريب - حسن. رواه أبو داود (3504)، والنسائي (7/ 288)، والترمذي (1234)، وابن ماجه (2188)، وأحمد (2/ 174 و 179 و 205) والحاكم (2/ 17) قوله: «سلف وبيع» قال ابن الأثير في «النهاية» (2/ 390): «هو مثل أن يقول: بعتك هذا العبد بألف على أن تسلفني ألفا في متاع، أو على أن تقرضني ألفا؛ لأنه إنما يقرضه ليحابيه في الثمن، فيدخل في حد الجهالة؛ ولأن كل قرض جر منفعة فهو ربا؛ ولأن في العقد شرطا لا يصح». قوله: «ولا شرطان في بيع» قال ابن الأثير (2/ 459): «هو كقولك: بعتك هذا الثوب نقدا بدينار، ونسيئة بدينارين، وهو كالبيعتين في بيعة». قوله: «ولا ربح ما لم يضمن»: قال ابن الأثير (2/ 182): «هو أن يبيعه سلعة قد اشتراها ولم يكن قبضها بربح، فلا يصح البيع، ولا يحل الربح؛ لأنها في ضمان البائع الأول، وليست من ضمان الثاني، فربحها وخسارتها للأول». قوله: «وبيع ما ليس عندك»: قال الخطابي في «المعالم»: «يريد بيع العين دون بيع الصفة، ألا ترى أنه أجاز السلم إلى الآجال، وهو بيع ما ليس عند البائع في الحال؟، وإنما نهى عن بيع ما ليس عند البائع من قبل الغرر، وذلك مثل أن يبيع عبد الآبق، أو جمله الشارد

হাদিসের মানঃ হাসান (Hasan)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
৮০১

পরিচ্ছেদঃ ১. ক্রয় বিক্রয়ের শর্তাবলী ও তার নিষিদ্ধ বিষয় - “উরবুন” নামক বিক্রির বিধান

৮০১. আমার বিন শু’আইবের সূত্রে উক্ত রাবী হতে বর্ণিত, তিনি বলেন, রসূলুল্লাহ (দুঃ) ’উরবান’* নামক ক্ৰয়-বিক্রয় নিষেধ করেছেন। বর্ণনাকারী ইমাম মালিক; তিনি বলেন, হাদীসটি ’আমর বিন শু’আইব এর সূত্রে পৌছেছে।[1]

وَعَنْهُ قَالَ: نَهَى رَسُولُ اللَّهِ - صلى الله عليه وسلم - عَنْ بَيْعِ الْعُرْبَانِ. رَوَاهُ مَالِكٌ, قَالَ: بَلَغَنِي عَنْ عَمْرِو بْنِ شُعَيْبٍ, بِهِ

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ضعيف. رواه مالك في «الموطأ» (2/ 609 / 1) عن الثقة عنده، عن عمرو به. ورواه أبو داود وابن ماجه من طريق مالك قال: بلغني عن عمرو بن شعيب، به. قلت: وسبب ضعفه جهالة الواسطة بين مالك وعمرو بن شعيب. والعُرْبان ويقال: عَرَبُون وعُرْبُون قال ابن الأثير في «النهاية»: قيل: «سمي بذلك؛ لأن فيه إعرابًا لعقد البيع، أي: إصلاحًا وإزالة فساد، لئلا يملكه غيره باشترائه». وقد فسر الإمام مالك في «الموطأ» فقال: «وذلك فيما نرى -والله أعلم- أن يشتري الرجل العبد أو الوليدة، أو يَتَكَارى الدابة، ثم يقول للذي اشترى منه أو تَكَارى منه: أعطيك دينارًا أو درهمًا أو أكثر من ذلك أو أقل على أني إن أخذت السلعة أو ركبت ما تكاريت منك فالذي أعطيتك هو من ثمن السلعة أو من كراء الدابة، وإن تركت ابتياع السلعة أو كراء الدابة فما أعطيتك، فهو لك باطل بغير شيء

وعنه قال: نهى رسول الله - صلى الله عليه وسلم - عن بيع العربان. رواه مالك, قال: بلغني عن عمرو بن شعيب, به - ضعيف. رواه مالك في «الموطأ» (2/ 609 / 1) عن الثقة عنده، عن عمرو به. ورواه أبو داود وابن ماجه من طريق مالك قال: بلغني عن عمرو بن شعيب، به. قلت: وسبب ضعفه جهالة الواسطة بين مالك وعمرو بن شعيب. والعربان ويقال: عربون وعربون قال ابن الأثير في «النهاية»: قيل: «سمي بذلك؛ لأن فيه إعرابا لعقد البيع، أي: إصلاحا وإزالة فساد، لئلا يملكه غيره باشترائه». وقد فسر الإمام مالك في «الموطأ» فقال: «وذلك فيما نرى -والله أعلم- أن يشتري الرجل العبد أو الوليدة، أو يتكارى الدابة، ثم يقول للذي اشترى منه أو تكارى منه: أعطيك دينارا أو درهما أو أكثر من ذلك أو أقل على أني إن أخذت السلعة أو ركبت ما تكاريت منك فالذي أعطيتك هو من ثمن السلعة أو من كراء الدابة، وإن تركت ابتياع السلعة أو كراء الدابة فما أعطيتك، فهو لك باطل بغير شيء

হাদিসের মানঃ যঈফ (Dai'f)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৭ঃ ক্ৰয়-বিক্রয়ের বিধান (كتاب البيوع) 7/ Business Transactions
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