৬৪৯

পরিচ্ছেদঃ

৬৪৯। আলী (রাঃ) বলেছেন, আমি কি তোমাদেরকে আল্লাহর কিতাবের একটি শ্ৰেষ্ঠ আয়াতের পরিচয় জানাবোনা, যা রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম আমাদেরকে জানিয়েছেন? সেটি হলোঃ “তোমাদের ওপর যে মুসিবাতই আসুক না। কেন, তা তোমাদের হাত দ্বারাই উপার্জিত এবং অনেকগুলোই আল্লাহ ক্ষমা করে দেন”। (সূরা আশ-শূরাঃ ৩০) রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেনঃ হে আলী, আমি তোমাকে এ আয়াতের ব্যাখ্যা দিচ্ছি। তোমরা যেসব রোগব্যাধি, আযাব অথবা বিপদাপদে দুনিয়ার জীবনে আক্রান্ত হও, তা তোমাদেরই কর্মফল। আল্লাহর সম্মান ও মর্যাদা এর অনেক ঊর্ধে যে, তিনি তোমাদেরকে দুনিয়ায় এ সব শান্তি ভোগ করানোর পর পুনরায় আখিরাতে তা ভোগ করবেন। আর যেসব গুনাহ আল্লাহ্‌ দুনিয়াতেই মাফ করে দেন, মাফ করার পর পুনরায় আখিরাতে তার জন্য শাস্তি দেবেন-- তার ধৈর্য এর চেয়ে অনেক ঊর্ধে।

حَدَّثَنَا مَرْوَانُ بْنُ مُعَاوِيَةَ الْفَزَارِيُّ، أَخْبَرَنَا الْأَزْهَرُ بْنُ رَاشِدٍ الْكَاهِلِيُّ، عَنْ الْخَضِرِ بْنِ الْقَوَّاسِ، عَنْ أَبِي سُخَيْلَةَ، قَالَ: قَالَ عَلِيٌّ: أَلا أُخْبِرُكُمْ بِأَفْضَلِ آيَةٍ فِي كِتَابِ اللهِ تَعَالَى حَدَّثَنَا بِهَا رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: " (مَا أَصَابَكُمْ مِنْ مُصِيبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ أَيْدِيكُمْ وَيَعْفُو عَنْ كَثِيرٍ) [الشورى: ٣٠] ، " وَسَأُفَسِّرُهَا لَكَ يَا عَلِيُّ: مَا أَصَابَكُمْ مِنْ مَرَضٍ، أَوْ عُقُوبَةٍ، أَوْ بَلاءٍ فِي الدُّنْيَا، فَبِمَا كَسَبَتْ أَيْدِيكُمْ، وَاللهُ تَعَالَى أَكْرَمُ مِنْ أَنْ يُثَنِّيَ عَلَيْهِمِ الْعُقُوبَةَ فِي الْآخِرَةِ، وَمَا عَفَا اللهُ تَعَالَى عَنْهُ فِي الدُّنْيَا، فَاللهُ تَعَالَى أَحْلَمُ مِنْ أَنْ يَعُودَ بَعْدَ عَفْوِهِ

إسناده ضعيف، الأزهر بن راشد الكاهلي ضعفه ابن معين، وقال أبو حاتم: مجهول، والخضر بن القواس مجهول وكذا أبو سخيلة
وأخرجه أبو يعلى (453) و (608) ، والدولابي في "الكنى" 1/185-186 من طريق مروان بن معاوية، بهذا الإسناد. وقال الهيثمي في "المجمع" 7/104 بعد أن عزاه لأحمد وأبي يعلى: وفيه أزهر بن راشد وهو ضعيف. وانظر لزاماً رقم (775)

حدثنا مروان بن معاوية الفزاري، اخبرنا الازهر بن راشد الكاهلي، عن الخضر بن القواس، عن ابي سخيلة، قال: قال علي: الا اخبركم بافضل اية في كتاب الله تعالى حدثنا بها رسول الله صلى الله عليه وسلم: " (ما اصابكم من مصيبة فبما كسبت ايديكم ويعفو عن كثير) [الشورى: ٣٠] ، " وسافسرها لك يا علي: ما اصابكم من مرض، او عقوبة، او بلاء في الدنيا، فبما كسبت ايديكم، والله تعالى اكرم من ان يثني عليهم العقوبة في الاخرة، وما عفا الله تعالى عنه في الدنيا، فالله تعالى احلم من ان يعود بعد عفوه اسناده ضعيف، الازهر بن راشد الكاهلي ضعفه ابن معين، وقال ابو حاتم: مجهول، والخضر بن القواس مجهول وكذا ابو سخيلة واخرجه ابو يعلى (453) و (608) ، والدولابي في "الكنى" 1/185-186 من طريق مروان بن معاوية، بهذا الاسناد. وقال الهيثمي في "المجمع" 7/104 بعد ان عزاه لاحمد وابي يعلى: وفيه ازهر بن راشد وهو ضعيف. وانظر لزاما رقم (775)
হাদিসের মানঃ যঈফ (Dai'f)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
মুসনাদে আহমাদ
মুসনাদে আলী ইবনে আবি তালিব (রাঃ) [আলীর বর্ণিত হাদীস] (مسند علي بن أبي طالب)